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मशरूम [ Mashrum ] की खेती कैसे करे, और मशरूम की खेती से संबंधित पूरी जानकारी जानिए हिन्दी मे

Mashrum ki kheti kaise kare :- ऐसे बहुत से किसान भाई हैं, जिन्हें मशरूम की खेती करने का सही तरीका पता नहीं होता है। जिसके कारण वह इनकी खेती नहीं कर पाते है। मशरूम की खेती करना बहुत ही सरल और आसान होता है। मशरूम की खेती आप अपने घर में भी करके महीने में लाखों रुपए तक कमा सकते है।

क्योंकि बाजारों में इसके बहुत अधिक मांगे होती है। तो यदि आप भी मशरूम की खेती करना चाहते हैं, तो हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से पूरी जानकारी देने वाले है। इसे आप अंत तक जरूर देखें। Mashrum ki kheti kaise kare
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मशरूम की खेती से संबंधित जानकारियां—

मशरूम एक तरह का कवकीप क्युब होता है, जिसे लोगों द्वारा सब्जी, अचार और पकोड़े जैसे चीजों को बनाने में इस्तेमाल किया जाता है। मशरूम में कई तरह के पोषक तत्व पाए जाते है। जिसका सेवन हमारे लिए काफी फायदेमंद होता है| विश्व भर में मशरूम की खेती लगभग हजारों वर्षों से किया जा रहा है।

Note ⇒ वही भारत में इसकी खेती लगभग तीन दशक पहले से किया जा रहा है| भारत में मशरूम की खेती उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, उत्तराखंड, पंजाब, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा,और तेलंगाना जैसे राज्यों में व्यापारिक स्तर पर किया जाता है।

वर्तमान समय में भारत में किसानों की रूचि मशरूम की खेती की ओर देखने को मिल रहा है। देश में मशरूम की खाने के अलावा औषधियों के रूप में भी इसका उपयोग किया जाता है, वही मशरूम में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, खनिज लवण, और विटामिन जैसे- उच्च स्तरीय गुण पाए जाते है। जिसके कारण मशरूम को विशेष रूप से महत्व दिया जाता है, और मशरूम के अलग-अलग किस्मों को वर्ष भर उगाया जाता है।

Mashrum ki kheti kaise kare

भारत सरकार द्वारा भी मशरूम की खेती को बढ़ावा देने के लिए, किसानों को कृषि विश्वविद्यालय और अन्य शिक्षण संस्थानों में, मशरूम की खेती करने की विधि, तथा मशरूम उत्पादन और मास्टर ट्रेनिंग प्रशिक्षण, मशरूम बीज उत्पादन तकनीकी प्रसंस्करण, आदि विषयों के बारे में प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसके अलावा राज्य सरकार द्वारा भी किसानों को मशरूम की खेती करने के लिए 50 परसेंट की लागत अनुदान दिया जाएगा।

मशरूम की खेती करने में कम लागत लगती है जिससे किसानों के द्वारा कम समय में मशरूम की खेती कर कई गुना मुनाफा कमा रहे है, तो यदि आप अभी मशरूम की खेती करना चाहते है, तो इसके लिए हम आपको इस पार्टिकल के माध्यम से मशरूम की खेती से जुड़ी बहुत महत्वपूर्ण जानकारी देने जा रहे है। जीसे फॉलो कर आप भी मशरूम की खेती से कई गुना मुनाफा कमा सकते है, तो चलिए अब शुरू करते है।

मशरूम की उन्नत प्रजातियां—

विश्व भर में मशरूम की कई उन्नत प्रजातियां उत्पादन किया जाता है, परंतु भारत में मशरूम की एस्से कुछ ही प्रजातियां पाई जाती है। जिन्हे हम लोगों के द्वारा खाने में इस्तेमाल किया जाता है। Mashrum ki kheti kaise kare

1. दूधिया मशरूम—
दूधिया मशरूम की खेती को केवल मैदानी भागों में किया जाता है| इस मशरूम की किस्मो मे बीजों के अंकुरण के लिए 25 से 30 डिग्री का तापमान उचित माना जाता है| इसके अलावा मशरूम के फलन के समय 30 से 35 डिग्री का तापमान आवश्यक होता है। इस किस्म की फसल को तैयार होने के लिए हवा में 80 % नमी होना आवश्यक होता है।

2. ढिंगरी मशरूम—

इस प्रजातियां के मशरूम की खेती करने के लिए सर्दियों का मौसम उपयुक्त माना जाता है। क्योंकि सर्दियों के मौसम में इसे भारत के किसी भी क्षेत्र में उगाया जा सकता है। किंतु सर्दियों के मौसम में समुद्री तट क्षेत्रों में इसकी खेती करने के लिए अधिक उपयुक्त माना जाता है। क्योंकि ऐसी क्षेत्रों में हवाओ कि नामी 80 परसेंट से ज्यादा पाई जाती है। मशरूम की इस किस्म को तैयार होने में 50 से 60 दिनो का समय लगता है।

3. श्वेत बटन मशरूम—

श्वेत बटन मशरूम की किस्मों का उपयोग सबसे अधिक खाने में किया जाता है। श्वेत बटन मशरूम की फसल को तैयार होने के लिए आरंभ से 20 से 22 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है। इस मशरूम की फलन के समय इन्हें 14 से 18 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है।

आवश्यक सूचना इसकी खेती को अधिकतर सर्दियों के मौसम में किया जाता है। क्योकि इसके कयुब को 80 से 85 परसेंट हवा में नवमी की आवश्यकता होती है। इसके कयुब सफेद रंग के दिखाई देते हैं जो आरंभ में अर्ध गोलाकार के होते है। 

4. शिटाके मशरूम—
इस मशरूम की खेती को जापान में विस्तार रूप से किया जाता है| इस मशरूम के कयुब का आकार अर्ध गोलाकार होता है। जिसमें हल्की लालिमा सी दिखाई देती है। इसके बीजों को शुरुआती समय में 25 से 27 डिग्री तपमानो की आवश्यकता होती है, तथा इसके कयूबों के विकास के समय इसे 15 से 20 डिग्री तापमानो कि आवश्यकता होती है।

मशरूम की खेती के लिए महत्वपूर्ण तत्व

मशरूम की खेती को करने के लिए एक बंद जगहो की आवश्यकता होती है| इसके अलावा कई और ऐसी जरूरतमंद चीजों की आवश्यकता होती है। जीसके अंदर मशरूमो को तैयार किया जाता है। आरंभ के समय मशरूम की फसल को उचित लंबाई वाले आयताकार सांचे में तैयार किया जाता था जो कि यह एक संदूक की भांति दिखाई देता था।

लेकिन वर्तमान समय में यह सच है लकड़ी के अलावा कई और चीजों के बनाया जा रहा है| मशरूम की खेती के लिए गेहूं और चावल के भूसी तथा अन्य फसलो की आवश्यकता होती है, तथा इस बात को ध्यान में रखा जाए कि वह भूसा बारिश के पानी द्वारा भिंगा हुआ नहीं होना चाहिए। Mashrum ki kheti kaise kare

इसके बाद उस भूसे को उबाल दिया जाता है जीसका इस्तेमाल बिजो को उगाने के लिए किया जाता है। भुसे को अधिक मात्रा मे उबाला जाता है, जीसके लिए आपको दो बडे ड्रामो कि आवश्यकता होती है। इसके बाद उबले हुए भुसो को ठंडा करके उसे बोडो मे भर दिया जाता है। उसके बाद उन बोडो मे मशरूम के बिजो को लगा दिया जाता है। अब इन बोडो को रस्सी के सहारे बांध दिया जाता है। इन सारी प्रक्रिया को करने के बाद बोडो कि नमी बनाए रखने के लिए आपको बडे कुलर या एक स्प्रेयर कि आवश्यकता होती है।

बीजो को उगाने के लिए आधार एवं सामाग्री तैयार करना—

मशरूम के बीजो को उगाने के लिए कुडा खाद को तैयार किया जाता है। इनमे कृषि अवशेषो के रुप मे बिना भिगें हुए धान और गेहू के भुसी का उपयोग किया जाता है। कुडा खाद को तैयार करते समय माइक्रोफ्लोरा का निर्माण किया जाता है। तैयार कि गई खाद मे लिग्निन,सेल्युलोज तथा हेमीसेल्युलोज भी मौजूद होता है। गेहुं भुसी कि अपेक्षा चावल और मक्के कि भुसी अधिक उपयुक्त माना जाता है।

क्योंकि इस भूसे में मशरूम क्युब बहुत तेजी से विकसित होते हैं| शुरुआती समय में मशरूम को एक बंद कमरे में रखा जाता है। परंतु जब एक बार मशरूम में क्युब निकल जाए। तब इन्हें कम से कम 5 से 6 घंटे ताजी हवा के आवश्यकता होती है। इसलिए जिस कमरे में मशरूम को उगाया जाता है, उस कमरे में दरवाजे और खिड़की होना आवश्यक होता है, जिससे हवा दरवाजे और खिड़की के माध्यम से आती-जाती रह सके।

मशरूम की बुवाई कब करे? 

मशरूम बीजों की रोपाई के लिए तैयार किए गए संदूक नुमा साचो में बने स्लैबो पर पाॅलिथिन को अच्छी तरह से लगा देना चाहिए। इसके बाद 6 से 8 ईच तक कंपोस्ट खाद कि मोटी परत को विछा दे, उसके बाद इस कंपोस्ट खाद कि परत के उपर मशरूम के बीजो डाल देना चाहिए,और बिजाई के तुरंत बाद इसे पॉलिथीन के द्वारा ढक देना चाहिए। Mashrum ki kheti kaise kare

बीजों के लिए सुरक्षित तापमान और सावधानियां

मशरूम के बीज 40 डिग्री या उससे अधिक टेंपरेचर होने पर यह जल्द ही खराब हो जाते है। जींसके कारन इन बीजो द्वारा बदबू आने लगती है। जिसके कारण हमें गर्मियों के मौसम में इनके बीजों को रात के समय में लेकर आना ज्यादा बेहतर होता है।

बीजों को न्यूनतम तापमान देने के लिए हमें थर्माकोल के बने डिपो में बर्फ को भरका उन बीजों को सुरक्षित रख देना चाहिए। जिसके बाद इन बीजों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने में कोई परेशानियां नहीं होगी। इसके अतिरिक्त कहीं दूर स्थानों तक ले जाने के लिए वातानुकूलित वाहनों का भी इस्तेमाल करना चाहिए।

बीजों का भंडारण—

मशरूम के ताजी बीच कंपोस्ट में अधिक तेजी के साथ फैलते है। जिसके कारण बीजों से मशरूम जल्द ही बाहर निकलना आरंभ हो जाते हैं, और हमे जल्द ही पैदावार में वृद्धि देखने को मिलता है। इसके अतिरिक्त कई परिस्थितियों में बीजों का भंडारण करना आवश्यक हो जाता है। ऐसे परिस्थितियों में बीजों को 15 से 20 दिन तक रेफ्रिजरेटर में भंडारण कर नष्ट होने से बचाया जा सकता है।

मशरूम के पैदावार तुडाई और उसके लाभ

मशरूम के बीज रोपने के उपरांत 35 से 40 दिन के अंदर यह अपने पैदावार देने के लिए तैयार हो जाता है। मशरूम को तुडाई करने के लिए इसके डंठल को भूमि के पास से हल्का सा घुमा कर तोड़ लेना चाहिए। जिसके बाद इन्हें पैक कर बाजार में बेचने के लिए भेज दिया जाता है। इसके अतिरिक्त मशरूम की कुछ ऐसे किस्में भी होती है जिन्हें सुखाकर आप उसका पाउडर बनाकर भी बेच सकते है।

मशरूम का एक कयूब तकरीबन 9 सेंटीमीटर की ऊंचाई तक होता है। मशरूम का बाजारी भाव कि बात करे तो यह रुपया 200 से लेकर ₹300 तक प्रति किलो होता है। जिसके हिसाब से किसान भाई मशरूम की खेती कर उसे खाने के रूप में या फिर उनका पाउडर बनाकर अच्छी कीमत पर बेचकर अधिक लाभ कमा सकते है।Mashrum ki kheti kaise kare

Latest Update : दोस्तों आज हमने इस आर्टिकल के द्वारा मशरूम की खेती करने के पूरी जानकारी देने का प्रयास किया है। आशा करते है, कि यह आर्टिकल पढ़ कर आपको बहुत अच्छा लगा होगा। यदि इससे जुड़े कोई भी सवाल आपके मन में हो तो आप कमेंट बॉक्स में जाकर पूछ सकते है। हमें आपके सवालों का जवाब देने में खुशी होगी।

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